पीएम ने लिखा – केन्द्र और राज्यों की भागीदारी ने महामारी के आर्थिक संकट से निपटने में राह दिखाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति निर्माण और सुधारों को लेकर एक ब्लॉग शेयर किया है | पीएम ने लिखा है कि केन्द्र और राज्यों की भागीदारी ने महामारी के आर्थिक संकट से निपटने में राह दिखाई है| उन्होंने लिखा है- कोविड महामारी के साथ-साथ दुनिया भर की सरकारों को नीति बनाने में नयी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है | भारत अपवाद नहीं है | जनकल्याण के लिए रिसोर्स तैयार करना और उसे आगे बढ़ाना हमारे लिए भी बड़ी चुनौती है |
उन्होंने लिखा- जब दुनिया भर में वित्तिय संकट छाया हुआ है, तब भारत के राज्यों ने अपने कोषों में अतिरिक्त 1.06 लाख करोड़ रुपये जमा किए हैं| पीएम मोदी का मानना है कि केन्द्र और राज्यों की भागीदारी की नीति अपनाने से ये बढ़ोतरी संभव हुई. उन्होंने लिखा- जब हमने कोविड से जंग शुरू की थी तो हम ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि ‘हर मॉडल पर एक साइज फिट’ हो जाने वाले पुराने फार्मूले पर नहीं चलेंगे. हमें अपने फेडरल सिस्टम पर भरोसा था इसलिए हम केंन्द्र-राज्यों की भागीदारी की पॉलिसी पर चले |
2020 मे सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के पैकेज का ऐलान किया था जिसके तहत राज्यों को ज्यादा पैसा लेने का इजाजत दी गयी थी. राज्यों को इंसेन्टिव दिए गए ताकि वो रिफॉर्म की प्रक्रिया पर चलें | पीएम मोदी कहते हैं कि ये बड़ी उत्साहजनक बात है कि राज्यों ने भी भविष्य को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने वाली नीति अपनाई ताकि उन्हें अतिरिक्त फंड मिलते रहें. ये उस दलील के विल्कुल विपरित थी कि मजबूत आर्थिक नीतियों को अपनाने वाले कम ही होते हैं |
4 सुधार जिनके चलते राज्यों ने अतिरिक्त पैसा उठाया उसके दो महत्वपूर्ण बिंदू हैं | पहला इन सुधारों से आम लोगों को जोड़ा गया. दूसरा इससे फिस्कल संस्टेनिबिलिटी को बढ़ावा मिला |
पहला सुधार था एक देश एक राशन कार्ड का. दूसरा सुधार था लोगों को व्यापार करने की राह आसान बनाना | तीसरा सुधार था कि राज्यों को प्रॉपर्टी टैक्स के फ्लोर रेट, पानी और सीवर के चार्ज को स्टांप ड्यूटी के दिशा निर्देशों के साथ लागू करना | चौथा सुधार था खातों में सीधा पैसा ट्रांसफर होना, यानि डीबीटी और किसानों को मिलने वाली मुफ्त बिजली सप्लाई के लिए |