शिक्षा का मंदिर बना “विवादों का घर”
जहां ज्ञान है वही सुख है, ज्ञान बिना पूरा जीवन दुख है….इसलिए स्कूलों और कॉलेजों को “शिक्षा का मंदिर” कहा जाता है. शिक्षा के मंदिर में समाज को जोड़ने और मार्गदर्शन दिखाने के नए माध्यम का संचालन किया जाता है. बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं उनके जीने के सलीके में बहुत बदलाव आते हैं इसलिए हर नागरिक अपना जीवन अलग अंदाज में व्यतीत करता चााहत हैैंं. उसेेे किसी का भी हस्तक्षेप करना बिल्कुल पसंद नहीं आता जिसका प्रतिकूल प्रभाव उसके परिवार और समाज पर पड़ता है. बच्चों के जीवन में शिक्षकों का मार्ग दर्शन करना काफी हद तक प्रभावित करता है. विद्यालय ऐसी जगह है जहां हर समुदाय के बच्चे आते हैं और औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं. इसलिए तो कहते हैं -“अशिक्षित को शिक्षा दो, अज्ञानी को ज्ञान …शिक्षा से ही बन सकता हैं, भारत देश महान”!!
ऐसे में यदि सब कुछ रूक जाए तो क्या होगा? मैं बात कर रही हूं करोना वायरस की! भारत में इस करोना वायरस से लगभग 32 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई, जिसमें 15.81 करोड़ लड़कियां और 16.25 करोड़ लड़के शामिल है. कोरोना वायरस से आये अनेक बदलाव और चुनौतियों का सामना हर किसी को करना पड़ा. कोविड-19 महामारी के कारण कई महीने विद्यालय बंद रहे. इसी के चलते अरुण कुमार जिन्होंने अभी 12th पास किया हैं उनका कहना है कि ” मुझे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा मेरे पास विकल्प कि नहीं था कि मैं क्या करूं. स्कूल और कॉलेज बंद हो गए घर से निकलना मुश्किल हो गया अब बस इंतजार है गवर्नमेंट के फैसले का” . अरुण के ही दोस्त राहुल का कहना है कि मैं ऑनलाइन क्लास ले तो रहा हूं पर जहां मैं रहता हूं उस गांव में इंटरनेट की समस्या है इसलिए मुुझे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.
ज्यादातर बच्चे डिजिटल माध्यम से छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. इस बदलाव से कठिनाई तो हो रही है लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में नए विचारों के उदाहरण भी सामने आए हैं. इतना तो साफ है कि डिजिटल माध्यम का प्रभाव भारत में लंबे समय तक रहने वाला है और इसके साथ-साथ शिक्षा संस्थाओं के भविष्य में संचालित होने के तरीकों में एक मौलिक बदलाव होने की उम्मीद है.
आपको याद होगा स्कूल 24 मार्च से बंद करा दिए गए थे और महीने बाद से सरकार के आदेशानुसार ऑनलाइन क्लास जारी की . कहीं गूगल तो कहीं यूट्यूब पर ऑनलाइन सामग्री तैयार की गई तो कहीं लेक्चर और कक्षा के वीडियो तैयार कर ऑनलाइन डाले गए. घर देखते ही देखते ऑनलाइन कामकाज और ऑनलाइन पढ़ाई के ठिकाने बन गए. यह सिलसिला करीब डेट 2 महीने जोरशोर से चला, फिर गर्मियों की छुट्टियां घोषित हो गई तो अब इस सिलसिले की गति थम गई क्योंकि मानव संसाधन मंत्रालय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर नई गाइडलाइन तैयार कर रहे हैं. यह हर कोई जानता है इस महामारी और लाकडाउन का असर भारत समेत दुनिया भर के सभी छात्रों पर पड़ा है पर अब लॉकडाउन में धीरे धीरे ढील दी जा रही है और स्कूलों को सितम्बर के महीने के बाद खोलने की तैयारी है अब बदले मौसम में सोशल डिस्टेंसिंग भी रखा जायेगा और पढ़ाई के तरीकों में बदलाव आएगा. उसे कहते हैं ना ” जिसे खुद पर विश्वास हो वो यही कहता है… मेहनत कर, किस्मत का लिखा भी बदलता है”.- प्रिया डागर
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