नया भरत होगा” सपनों का भारत”

क्या आप स्वतंत्र हैं आपका जवाब होगा – ‘हां’. लेकिन मैं आपको बता दूं  अभी भी आप सभी को आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं है आज भी देश की आबादी भूख , बिमारी और निरक्षरता जैसी आर्थिक गुलामी का शिकार है, पर मैं इस बात से सहमत हूं कि हमारे देश के विकास में आज के युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है. देश की युवा शक्ति समाज की रीढ़ है और देश को नए शिखर पर ले जा रही हैं. उसे कहते हैं ना देश को बदलने से पहले अपनी सोच बदलना जरूरी है. 21वीं शताब्दी के दम पर हमारा देश तरक्की की राह पर चलकर विश्व में नंबर1 पर होगा और यही सपना पूरा करने के लिए हर युवा को अपनी कमर कसनी होगी. आज के समय में कोई किसी के पीछे नहीं है. कोई बिजनेसमैन बनकर देश की बेरोजगारी दूर करना चाहता है तो कोई डॉक्टर बनकर देश की सेवा करना चाहता है.

चिगरांवठी मे रहने वाला कक्षा 12th का दीपक इंजीनियर बनना चाहता है उसका कहना है एक अच्छा इंजीनियर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. मैं अपने करियर के साथ-साथ समाज के बेहतर निर्माण के लिए लोगों की सोच बदलना चाहता हूं.

कक्षा 12th की चंचल अपनी मां के सपने के लिए डॉक्टर बनना चाहती है उसका कहना है कि लोक डाउन में उसकी मां की तबीयत बिगड़ गई जिसकी वजह से मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. अब मैं अपनी मां के सपने को पूरा कर, देश को स्वच्छ बनाने का काम करना चाहती हूं.

 

नई सोच, नया जोश, नया खून हो तो नतीजा भी नया होगा. लेकिन अब शायद ऐसा नहीं हो पाएगा या ऐसा होने में थोड़ा समय लगेगा क्योंकि पटरी से उतरी व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए देश के हर नागरिक को एकजुट होना होगा. दरअसल कोरोनावायरस और लोकडाउन में देश के युवाओं को लेकर बहस यूं ही नहीं छोड़ी है. अपने भविष्य को देख, हर युवा नींद से जाग गया है.अब वह अपना और समाज का अच्छा बुरा समझने लगा है फिर ऐसे में सरकार उन्हें नजरअंदाज कैसे कर सकती है क्योंकि वक्त की करवट ने हर किसी को अपनी सोच बदलने के लिए मजबूर कर दिया है.

 

लिखते लिखते मुझे कुछ पंक्तियां याद आई जो मैं आपके साथ शेयर करना चाहती हूं-

“एक इच्छा मेरी है, मेरे सपनों का भारत ऐसा हो

स्नेह भरा हो हर कोई में, हर मानव भाई जैसा हो

हर घर में सीता मिले, हर पुरुष राम जैसा हो

हर कन्या अब दुर्गा हो, हर भाई रावण जैसा हो

एक इच्छा मेरी है मेरे सपनों का भारत ऐसा हो”

ऐसा नहीं है जैसा आज है कल भी ऐसा ही होगा. ‘बदलाव कुदरत का नियम’ है.भारत पर आए इस संकट से निकलने मे  देश का हर नागरिक प्रयास कर रहा है. हमें  इतना पता हैं कि हमारे लिए जो भी फैसला लिया जाएगा वह हमारे हित में होगा. 2021-22 मैं भारत को नया भरत देखने की पूरी उम्मीद है.

 

प्रिया डागर

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