मोदी को यूएई में सर्वोच्च सम्मान, पाकिस्तान को लगी मिर्च

एक तरफ़ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान कश्मीर में स्वायत्तता ख़त्म किए जाने को लेकर दुनिया भर के मुस्लिम देशों को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं तो दूसरी तरफ़ मध्य-पूर्व के अहम इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ ज़ायेद’ से नवाज़ा है |
14 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद में असेंबली को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर पर दुनिया के सवा अरब मुसलमान एकजुट हैं लेकिन दुर्भाग्य से शासक चुप हैं| अबू धाबी के क्राउन प्रिंस ने पीएम मोदी के यूएई दौरे पर कहा कि वो बहुत ही कृतज्ञ हैं कि उनके भाई अपने दूसरे घर अबू धाबी (संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी) आए हैं|
इससे पहले यूएई ने ‘ऑर्डर ऑफ ज़ायेद’ सम्मान से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, महारानी एलिज़ाबेथ-2 और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को नवाज़ा था|
‘ऑर्डर ऑफ़ ज़ायेद’ मिलने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि वो इस सम्मान को पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं|
उधर पाकिस्तान में इस घटनाक्रम को लेकर राजनीति से मीडिया तक में काफ़ी चर्चा है| पाकिस्तानी मीडिया में कहा जा रहा है कि जब कश्मीर में भारत ने एकतरफ़ फ़ैसला किया है, ऐसे में मोदी को यह सम्मान दिया गया है|
पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार डॉन ने लिखा है, ”ऑर्डर ऑफ़ ज़ायेद में मोदी की एंट्री से पता चलता है कि संयुक्त अरब अमीरात के लिए भारत कितना मायने रखता है| भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयाताक देश है| भारत दुनिया के बड़े उपभोक्ता बाज़ारों में से एक है और यूएई में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं. हालांकि कई एक्टिविस्ट को यूएई का यह क़दम रास नहीं आ रहा है| बेरूत के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता समाह हदीद ने लिखा है कि खाड़ी के कई देश आर्थिक फ़ायदों के आधार पर मोदी का विरोध नहीं कर पा रहे हैं| वो मानवाधिकारों के उल्लंघन के सामने आर्थिक अवसरों को तवज्जो दे रहे हैं| ”
यूएई ने जैसे ही पीएम मोदी को यह सम्मान दिया कि कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तानी सीनेट के चेयरमैन सादिक़ सनर्जानी ने यूएई का अपना दौर रद्द कर दिया|
सादिक़ ने अपने बयान में कहा कि मोदी के फ़ैसले के कारण कश्मीरी मुसलमानों के साथ नाइंसाफ़ी हो रही है और उन्हें यूएई ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया. सादिक़ ने कहा कि ऐसे में यूएई जाना कश्मीरी माताओं, बहनों और बुज़ुर्गों के साथ अन्याय होगा|
यूएई का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान संयुक्त अरब अमीरात के पहले राष्ट्रपति शेख ज़ायेद बिन सुल्तान अल नाह्यान के नाम पर दिया जाता है.
हालांकि इस सम्मान की घोषणा अप्रैल महीने में ही कर दी गई थी. तब इसकी घोषणा करते हुए संयुक्त अरब अमीरात ने कहा था कि यूएई और भारत के संबंधों को पीएम मोदी ने नई ऊंचाई दी है|
पीएम मोदी को ऑर्डर ऑफ़ ज़ायेद मिलने पर ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सांसद नाज़ शाह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. नाज़ शाह ने एक ओपन लेटर लिख अपनी आपत्ति जताई है|
उन्होंने कहा कि शेख मोहम्मद को कश्मीर में भारत के फ़ैसले को देखते हुए इस पर विचार करना चाहिए. नाज़ शाह ने लिखा है, ”इस अवॉर्ड को देने पर फिर से विचार करना चाहिए. आपको मानवाधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए इस पर सोचना चाहिए.” पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने मोदी को यूएई का सर्वोच्च सम्मान मिलने पर टिप्पणी करते हुए ट्विटर पर लिखा है, ”फासीवादी मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सबसे सर्वोच्च सम्मान देने के ख़िलाफ़ दुनिया के बड़े-बड़े मुस्लिम नेता ख़ामोश रहे लेकिन एक बहादुर ब्रिटिश सांसद नाज़ शाह ने यूएई हुक़ूमत के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ आपत्ति दर्ज कराई है. पाकिस्तानी और कश्मीरियों की भावनाओं को नाज़ ने व्यक्त किया है. बहादुर बहन नाज़ शाह का बहुत शुक्रिया.”
डॉन के पत्रकार जमील फ़ारूक़ी ने पूरे मसले पर लिखा है, ”सत्यानाश हो अरब का. इतिहासकार लिखेंगे कि जिस वक़्त कश्मीर में पूरी तरह से पाबंदी है उसी वक़्त मोदी को संयुक्त अरब अमीरात का सबसे बड़ा सम्मान दिया गया.”
भारत के लिए संयुक्त अरब अमीरात अहम क्यों?
अबू धाबी में हिन्दी भाषा अदालतों में इस्तेमाल होने वाली तीसरी आधिकारिक भाषा बन है.
इससे पहले अरबी और अंग्रेज़ी थीं लेकिन अब इसमें हिन्दी भी जुड़ गई है. ऐसा न्याय को पाने में किसी भी तरह की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़े इसलिए किया गया है.
अबू धाबी न्यायिक विभाग का कहना था कि हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाने से लेबर मुक़दमों में न्याय सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हिन्दी भाषियों की बढ़ती तादाद के कारण यह फ़ैसला लिया गया है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ यूएई की कुल आबादी 90 लाख है और इसमें दो तिहाई प्रवासी हैं. इन प्रवासियों में 26 लाख भारतीय हैं. यह कुल आबादी का 30 फ़ीसदी है और यह प्रवासियों का सबसे बड़ा हिस्सा है.
अबू धाबी न्यायिक विभाग के अवर सचिव योसेफ़ सईद अल अब्री ने कहा था कि ऐसा न्यायिक विभाग में पारदर्शिता के लिए यह किया गया है.
अल अब्री ने ख़लीज टाइम्स से कहा था, ”हिन्दी को अदालती भाषा के तौर पर इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि लोगों को न्याय प्रक्रिया में किसी भी तरह की जटिलता का सामना नहीं करना पड़े.”

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