नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नवीन परिसर का बुधवार को उद्घाटन किया

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन लोगो के गाल पर तमचा मारा है जो कहते थे राम मंदिर की जगह स्कूल कॉलेज या हॉस्पिटल बना दो लो जी दुनिया की सबसे बड़ा कॉलेज जिसे मुस्लिम शासक ने तभा कर दिया था एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री ने उस विश्विद्याल को अपने रूप में ला दिया |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नवीन परिसर का बुधवार को उद्घाटन किया। नए कैंपस के उद्घाटन के साथ ही इस प्राचीन विश्वविद्यालय के इतिहास की चर्चा हो रही है। दुनिया के पहले आवासीय नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास है। इसका जिक्र कई किताबों में किया गया है। इस विश्वविद्यालय में कई महान लोगों ने पढ़ाई की थी। ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज से भी 600 साल पहले नालंदा विश्वविद्यालय बना था। ना, आलम और दा शब्दों से मिलकर नालंदा बना है, जिसका मतलब ऐसा उपहार, जिसकी कोई सीमा नहीं है। गुप्त काल के दौरान पांचवी सदी में इसका निर्माण किया गया था। इसका इतिहास, शिक्षा के प्रति भारतीय दृष्टिकोण और इसकी समृद्धि को दिखाता है। विश्वविद्यालय का महत्व भारत समेत पूरी दुनिया के लिए अनमोल धरोहर है।

नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास

प्राचीन भारत का नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षण केंद्र था। यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय है, जहां पर एक ही परिसर में शिक्षक और छात्र रहते थे। गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने नालंदा विश्वविद्यालय की 450 ई. में स्थापना की थी। हर्षवर्धन और पाल शासकों ने भी बाद में इसे संरक्षण दिया। इस विश्वविद्यालय की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था। पुस्तकालय में 90 लाख से ज्यादा किताबें थीं।
नालंदा विश्वविद्यालय में किसी समय 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते थे। इन छात्रों को पढ़ाने के लिए 1500 से ज्यादा शिक्षक थे। छात्रों का चयन उनकी मेधा पर किया जाता था। सबसे खास बात यह है कि यहां पर शिक्षा, रहना और खाना सभी निःशुल्क था। इसमें भारत ही नहीं, बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया जैसे देशों के भी छात्र भी पढ़ने के लिए आते थे।
खिलजी ने क्यों जला दिया था विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय में 1193 तक पढ़ाई होती थी। तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस पर हमला कर दिया। उसने पूरे विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया। इतिहासकारों के मुताबिक, खिलजी ने जिस समय विश्वविद्यालय पर हमला किया था, उस समय इसकी नौ मंजिला लाइब्रेरी में करीब 90 लाख किताबें और पांडुलिपियां थीं। लाइब्रेरी में आग लगाने के बाद यह तीन महीने तक जलती रही। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि खिलजी और उसके सैनिकों को लगता था कि इसकी शिक्षाएं इस्लाम के लिए चुनौती हैं। हालांकि, कुछ स्कॉलर इस मान्यता को खारिज करते हैं। यह भी कहा जाता है कि एक बार खिलजी बहुत अधिक बीमार था। उसका इलाज कई तरह से किया गया, जिसे लेकर कई तरह की कहानियां बताई जाती हैं। कहा जाता है कि खिलजी अपने इलाज से खुश नहीं था और गुस्से में उसने इसे जलवा दिया था।

326

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *