बीते पांच साल में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 339 लोगों की मौत
भारत सरकार ने मैनुअल स्क्वैंजर एक्ट के तहत सीवर और सेप्टिंक टैंक की हाथ से सफाई पूरी तरह गैर-कानूनी है | ऐसा करते पकड़े जाने पर 50 हजार का जुर्माना या सालभर की सजा हो सकती है| फिर भी इस कानून का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है|
हाथ से मैला ढोने पर प्रतिबंध लगाए जाने के 10 साल बाद भी आज बड़ी संख्या में लोग इस काम में लगे हुए हैं | सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हर साल कई सफाई कर्मियों की मौत हो रही है | बीते पांच सालों 339 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है| सवाल ये उठता है कि जब सीवर की सफाई के दौरान सेफ्टी डिवाइस के साथ उतरने का कानून बना है, तो फिर कैसे लगातार मौतें हो रही हैं?
साल 2013 में मैनुअल स्केवेंजिंग यानी हाथ से मैला उठाने वाले नियोजन प्रतिषेध और पुनर्वास अधिनियम लाया गया था | जिसमें केंद्र सरकार ने इसकी परिभाषा तय की है | परिभाषा के अनुसार, “कोई भी व्यक्ति जिससे स्थानीय प्राधिकारी हाथों से मैला ढुलवाने का काम करवाए, मैला साफ कराए, ऐसी खुली नालियां या गड्ढे जिसमें किसी भी तरह से इंसानों का मल-मूत्र इकट्ठा होता हो, उसे हाथों से साफ कराए तो वो शख्स ‘मैनुअल स्केवेंजर’ कहलाएगा| ”
कर्मचारियों को हैजा, हेपेटाइटिस, टीबी, टाइफाइड बीमारियां हो सकती है
भारत में दशकों से जड़े जमाए जाति प्रथा के कारण इस तरह के नुकसानदेह काम ज्यादातर उन लोगों को करने पड़ते हैं, जो जाति व्यवस्था की सबसे निचली पायदान पर हैं| हाथ से इंसानी मल को साफ करने या कहीं और फेंकने के कारण ऐसे सफाई कर्मचारियों को हैजा, हेपेटाइटिस, टीबी, टाइफाइड और इसी तरह की अन्य बीमारियों का शिकार होने का खतरा बना रहता है |
2022 में 66 और 2023 में अब तक 9 मौतें
सरकारी फाइलों में मौत के आंकड़ें बनकर दर्ज हो जाते हैं, लेकिन ये सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है | बीते पांच साल में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 339 लोगों की मौत हुई है | 2022 में 66 और 2023 में अब तक 9 मौतें हुई हैं | ऐसा सरकार का कहना है. इतनी मौंतों के बावजूद कोई सबक सीखने को तैयार नहीं है |
सेफ्टी डिवाइस के बिना हो रही सीवर की सफाई
दिल्ली के कश्मीरी गेट इलाके में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है | यहां बिना सेफ्टी डिवाइस के सफाई कर्मचारी सीवर की सफाई कर रहे हैं|
