देश की अर्थव्यवस्था पर सवाल क्यों?

” जो अपने जीवन में कठिनाइयों से टकराते हैं वही विकास के पथ पर आगे बढ़ पाते हैं”

यह पंक्तियां हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है पर जब सवाल देश की अर्थव्यवस्था का आता है, तो देश के हर नागरिक को यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आज के समय में क्या हम वाकई 2020 के प्रकोप से अपने देश की अर्थव्यवस्था को संभाल पाएंगे?

किसी भी देश के लिए रोजगार एक जरूरी विषय होता है जिसके बिना  अर्थव्यवस्था के पटरी आगे नहीं बढ़ सकती. अब बात करें कोरोना  संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की तो कोविड-19 के प्रकोप में आर्थिक दृष्टिकोण से   सबसे अधिक चर्चा दो पहलुओं पर होती है. पहला- भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर आबादी यानी ‘किसान’ , असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर और शहर में सड़क के किनारे छोटा-मोटा व्यापार करके आजीविका चलाने वाले लोग. दूसरा-  भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्पादन करने वाले यानी वह क्षेत्र जो  इस देश में पूंजी और गैर पूंजी वस्तुओं का उत्पादन करता है. सामान्य भाषा में कहें तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर या विटनेस सेक्टर. मैंने इन पहलुओं पर लोगों से बात की तो राजू भाई जो हमारे गाँव में डेरी का काम करते हैं उनका कहना है कि  जबसे लॉकडाउन हुआ है तब से दूध का उत्पादन पहले की तरह अच्छे से नहीं हो पा रहा है, मुझे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. साथ ही उनके भाई जो किसान है उनका कहना है कि महंगाई के कारण  एक तो बाजार में खाद पानी मिलता ही नहीं, और मिलता भी है तो कीमत से उच्च दामों पर.ऐसे में किसान करे तो क्या करें?

 

क्या आप जानते हैं दुनिया भर में अब तक एक करोड़ 81 लाख से ज्यादा लोग करोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, और 9 लाख 90 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

 

देश में इस समय आर्थिक मंदी का दौर छाया हुआ है. कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर गहराया संकट बढ़ता ही जा रहा है. अर्थव्यवस्था के मुद्दे को लेकर सरकार लगातार सवालों के घेरे में है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां आर्थिक संकट बेरोजगारी समेत इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है.

वित्तीय वर्ष 2020-21 में जीडीपी की विकास दर भी नेगेटिव रहने का अनुमान है देश में बढ़ते कोरोना के मामलों का असर अर्थव्यवस्था  मे सुधारों की रफ्तार पर भी पड़ रहा है.कोविड-19 महामारी की वजह से हालात सुधारने में अभी लंबा वक्त लग सकता है, हालांकि 2021-22 में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद है -प्रिया डागर

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