‘सेक्युलर’ शब्द संविधान में संशोधन कर हटा दिया जाए

भारत स्वतंत्र होने के पश्‍चात 1950 में लागू हुए संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द नहीं था । वर्ष 1976 में आपातकाल के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने बहुमत के आधार पर यह शब्द संविधान में घुसाया । ‘सेक्युलर’ शब्द की आज तक कहीं भी व्याख्या नहीं की गई है । इसलिए भारत में अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण और हिन्दुओं को दुत्कारना चल ही रहा है । इस विषय को उजागर करने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा 24 मई को सायंकाल 6 से रात्रि 8 तक ‘भारत का विकृत सेक्युलरिजम’ विषय पर विशेष ‘ऑनलाइन’ चर्चासत्र का आयोजन किया गया था । इस चर्चासत्र में ‘भारत ‘सेक्युलर’ है’ इसका अर्थ क्या है ?, उसका इतिहास और उसकी हानि क्या है ? उसके कारण हिन्दुओं पर किस प्रकार अन्याय हो रहा है ? आदि सहित विविध पहलुओं पर चर्चा हुई । इस चर्चा के अंत में सभी उपस्थित मान्यवरों ने एकत्रित मांग की कि केंद्र शासन संविधान में संशोधन करे तथा संविधान की प्रस्तावना में घुसाया गया ‘सेक्युलर’ शब्द हटा दे । इस चर्चासत्र में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी, बंगाल के वरिष्ठ हिन्दुत्वनिष्ठ तथा अध्ययनकर्ता श्री. तपन कुमार घोष, कश्मीर से ‘रूट्स इन कश्मीर’ के सहसंस्थापक श्री. सुशील पंडित, ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के प्रवक्ता और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे सहभागी हुए थे तथा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने इस चर्चासत्र का सूत्रसंचालन किया । इस चर्चासत्र का ‘फेसबुक’, ‘ट्वीटर’ और ‘यू ट्यूब’ आदि माध्यमों से सीधा प्रसारण किया गया था ।

‘सेक्युलर’ विचारधारा सभी भारतीयों पर थोपना, यह लोकतंत्र विरोधी – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन
संविधान बनते समय संविधान सभा ने प्रदीर्घ चर्चा के उपरांत ‘सेक्युल‘सेक्युलर’ शब्द संविधान में संशोधन कर हटा दिया जाए र’ शब्द संविधान में समाविष्ट करना अस्वीकार कर दिया था; परंतु 42 वें संविधान संशोधन में आपातकाल के समय भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘सेक्युलर’ शब्द संविधान की प्रस्तावना में घुसाया था । कुछ लोगों की विचारधारा ‘सेक्युलर’ हो सकती है; परंतु वह शब्द संविधान की प्रस्तावना में समाविष्ट कर संपूर्ण भारतीय समाज पर वह विचारधारा थोपना लोकतंत्र विरोधी है । इसलिए कानून पारित कर ‘सेक्युलर’ शब्द संविधान से हटाया जा सकता है ।

‘सेक्युलरिजम’ भारत को अहिन्दू बनाने का हथियार ! – सुशील पंडित
संविधान बनाते समय अनुच्छेद 370 द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को अलग राज्य का दर्जा दिया गया । जम्मू-कश्मीर के स्वतंत्र संविधान द्वारा हिन्दुओं के अधिकारों को पैरों तले रौंदा गया । ‘सेक्युलर’ शब्द जम्मू-कश्मीर के संविधान से हटा दिया गया । उच्चशिक्षा और नौकरियों में कश्मीर घाटी के मुसलमानों के लिए 70 प्रतिशत अलिखित आरक्षण दिया गया । भारत में न्यायालय, पत्रकारिता, लोकनियुक्त सरकार, सेना होते हुए भी कश्मीरी हिन्दुओं का वंशविच्छेद और अत्याचार नहीं रोके गए । ‘सेक्युलरिजम’ भारत को अहिन्दू बनाने का हथियार बन गया ।
संविधान की धारा 28 और 30 अ भारत के नैतिक परम्पराओं के विरोध में ! – तपन घोष
संविधान की धारा 30 अ के अनुसार अल्पसंख्यकों को स्वतंत्र शिक्षा संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार है । इसलिए ईसाई विद्यालय में बाइबिल पढाई जाती है; परंतु हिन्दू ऐसा नहीं कर पाते । इसी प्रकार धारा 28 के अनुसार सरकारी अनुदान से चलनेवाली शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती । भारत में सहस्ररों वर्षों का इतिहास और संस्कृति की परंपरा है । रामायण, महाभारत केवल हिन्दुओं के ही ग्रंथ नहीं हैं, अपितु वे संपूर्ण विश्‍व के लिए मार्गदर्शक हैं । उनका जागरण करना भारत का नैतिक दायित्व है; परंतु वह निभाने में धारा 28 बाधा सिद्ध हो रही है । हिन्दू धर्म के स्वभाव में ही सर्वसमावेशकता है । हिन्दू धर्म की प्रकृति के कारण ही भारत में सद्भाव है ।
हिन्दू धर्म को राजनीतिक संरक्षण चाहिए ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे
धर्म राष्ट्र का प्राण है । ‘सेक्युलर’ व्यवस्था धर्मविहीन अर्थात एक प्रकार से अधर्मी व्यवस्था ही है । जब भारत में सनातन धर्म को राजाश्रय था, तब भारत आध्यात्मिक और भौतिक प्रगति में भी सर्वोच्च स्थान पर था; परंतु ‘सेक्युलर’ व्यवस्था के कारण देश अधोगति की दिशा में बढ रहा है। यूरोपीय और पश्‍चिमी देशों में, बहुसंख्यकों के धर्म को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है । भारत में ऐसा नहीं है । इसलिए, सनातन हिन्दू धर्म को भारत में राजनीतिक संरक्षण की आवश्यकता है ।
भारत में ‘सेक्युलरिजम’ की आड में हिन्दू धर्म में हस्तक्षेप ! – रमेश शिंदे
यूरोपीय अवधारणा के अनुसार, ‘सेक्युलर’ व्यवस्था का अर्थ है कि दो प्रणालियां – चर्च और राज्य, एक-दूसरे से अलग हैं । यूरोप में 16 वीं शताब्दी में, राजा और धर्मगुरु अविभाज्य थे । ‘सेक्युलर’ प्रणाली राजनीतिक और धार्मिक प्रणालियों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए यूरोप में अस्तित्व में आई । इंग्लैंड में आज भी दो सभागृह – ‘हाउस ऑ़फ लॉर्ड्स’ व ‘हाउस ऑ़फ कॉमन्स’ हैं । ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ द्वारा धार्मिक कानून बनाए जाते हैं । परंतु भारत में हिन्दू धर्म में ‘सेक्युलरिजम’ के नाम पर हस्तक्षेप किया जाता है । भारतीय संविधान में ‘सेक्युलरिजम’ की परिभाषा ही स्पष्ट नहीं है । भारत एक ‘सेक्युलर’ देश है; परंतु एक प्रकार से यह अल्पसंख्यकों को सबकुछ उपलब्ध कराने की व्यवस्था है ।

इस संगोष्ठी के अवसर पर हुई अन्य विशेष गतिविधियां
1. इस चर्चा के कारण टि्वटर पर दिनभर #SayNoToPseudoSecularism ट्रेंड चल रहा था । भारत में यह दूसरा सबसे अधिक ट्रेंडिंग विषय था, इस विषय पर १ लाख से अधिक ट्वीट किए गए थे ।
2. हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा एक ‘ऑनलाइन याचिका’ (पीटीशन) तैयार की गई है, जिसमें कहा गया है कि ‘सेक्युलर’ शब्द, जिसे भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोडा गया है, सरकार द्वारा संवैधानिक ढंग से हटाया जाए । अब तक ६ हजार से अधिक लोगों ने इस ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं और ३ हजार से अधिक लोगों ने यह याचिका ईमेल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजी है। समिति की ओर से, इस याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए राष्ट्र और धर्म प्रेमी हिन्दुओं से अपील की गई है । इस याचिका की लिंक नीचे दी गई है ।

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