काँग्रेस का वीर सावरकरद्वेष, यह संपूर्ण क्रांतिकारी आंदोलन के प्रति द्वेष है

भोपाल में काँग्रेस सेवादल के प्रशिक्षण शिविर में ‘वीर सावरकर-कितने ‘वीर’ ?’ नामक पुस्तक बांटी गई । इस पुस्तक में अत्यंत ही हीन स्तर पर वीर सावरकर के प्रति द्वेष और असत्य लेखन किया है । इससे यही दिखाई देता है कि काँग्रेस वाले स्वतंत्रतावीरों की अपकीर्ति करने के लिए कितने निचले स्तर पर जा सकते हैं । भविष्य में ऐसा अनादर केवल वीर सावरकर का ही नहीं, अपितु किसी भी राष्ट्रपुरुष और क्रांतिकारियों का अन्य किसी से भी न हो, इस हेतु केंद्र सरकार को तुरंत ही इस संदर्भ में कानून बनाने की आवश्यकता है । काँग्रेस द्वारा वितरित पुस्तक से देश की धार्मिक और जातीय तनाव उत्पन्न कर समाज में फूट डालने का कुटिल षड्यंत्र ध्यान में आता है । काँग्रेस का वीर सावरकरद्वेष, यह संपूर्ण क्रांतिकारी आंदोलन के प्रति ही द्वेष है । अत: इस आक्षेपजनक पुस्तक पर देशभर में तुरंत प्रतिबंध लगाएं, उसके लेखक और प्रकाशक पर कठोर से कठोर कार्यवाही की जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एसं छत्तीसगढ राज्य संगठक  सुनील घनवट ने की । सावरकरजी के समर्थन में महाराष्ट्र के पुणे और सावंतवाडी शहरों में राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन किए गए । ऐसे ही आंदोलन देश के विविध शहरों में हो रहे हैं ।
काँग्रेस के शिविर अर्थात सामाजिक शांति भंग करने का प्रशिक्षण देनेवाले केेंंद्र !
काँग्रेस के शिविरों में देश के क्रांतिकारी समलिंगी संबंध रखनेवाले, मस्जिदों पर पथराव करनेवाले, अल्पसंख्यक महिलाआें पर बलात्कार करनेवाले थे, ऐसा उल्लेखवाली अत्यंत गलिच्छ पुस्तक बांटकर क्या सिखाया जाता है ? इससे तो यही सिद्ध होता है कि काँग्रेसी शिविर सामाजिक शांति भंग कैसे कर सकते हैं, इसके प्रशिक्षण केंद्र हैं । वीर सावरकर जैसे महान राष्ट्रभक्त की अवहेलना सार्वजनिकरूप और निरंतर हो रही है । कोई भी आता है और उनके चरित्र पर लांछन लगाता है । यह अक्षम्य और असहनीय है । अब सरकार बार-बार होनेवाली ऐसी घटनाआें से राष्ट्र्रभक्त नागरिकों की सहनशीलता का अंत न देखे । दोषियों पर कठोर से कठोर और शीघ्र कार्यवाही करे । इसके साथ ही यह मांग भी की गई कि आज तक वीर सावरकरजी का जो अनादर हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति करने के एक प्रयत्नस्वरूप वीर सावकर को सर्वोच्च नागरी पुरस्कार ‘भारतरत्न’ तुरंत घोषित किया जाए, ऐसी मांग भी श्री. घनवट ने की ।

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