‘दबंग 3’ का बहिष्कार ! – धर्मप्रेमी हिन्दुओ की चेतावनी

आनेवाले सप्ताह में 20 दिसंबर को प्रदर्शित होनेवाली हिन्दी फिल्म ‘दबंग 3’ में साधुओ को गॉगल्स चढाकर और हाथ में गिटार लेकर आपत्तिजनक भाव-भंगिमा में नाचते हुए दिखाया गया है, साथ ही इसमें देवताआें का भी अनादर किया गया है । इसका ध्यान दिलाने के पश्‍चात भी ‘नाचनेवाले साधु झूठे हैं’, ऐसा बोलकर सलमान खान ने इस फिल्म के प्रस्तुत दृश्य का समर्थन किया है । यदि ऐसा है, तो क्या सलमान खान झूठे मुल्ला-मौलवी और फादर-बिशप को गिटार लेकर आपत्तिजनक भाव-भंगिमा में नाचते हुए दिखाने का साहस दिखाएंगे ? हिन्दू जनजागृति समिति के सुरेश मुंजाल ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हम हिन्दुआें के आस्था केंद्रों का ऐसा अनादर कदापि सहन नहीं करेंगे । फिल्म के आपत्तिजनक दृश्यों को हटाया नहीं गया, तो ‘दबंग 3’ का बहिष्कार किया जाएगा । 15 दिसंबर 2019 को दिल्ली के संसद मार्ग पर आयोजित ‘राष्ट्र्रीय हिन्दू आंदोलन में वे बोल रहे थे । इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने, ‘धार्मिक तनाव उत्पन्न करनेवाली फिल्म दबंग 3 पर रोक लगाएं’, ‘हिन्दू धर्म का अनादर करनेवाले सलमान खान का धिक्कार हो’ की घोषणाएं कीं । इस आंदोलन में यह मांग की गई कि सेन्सॉर बोर्ड ‘दबंग 3’ फिल्म से हो रहे हिन्दुआें के आस्था केंद्रों और भारतीय संस्कृति के अवमान करनेवाले दृश्यों को तत्काल हटाए , अन्यथा इस फिल्म को सेन्सॉर का प्रमाणपत्र न दिया जाए ।

आंध्र प्रदेश सरकार जेरुसलेम और हज यात्रियों को दिए जानेवाले अनुदान बढाने का निर्णय रद्द करे !
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने मुसलमानों को हज यात्रा और ईसाईयों को जेरुसलेम यात्रा के लिए पहले दिए जानेवाले 40 सहस्र (हजार) रुपए का अनुदान बढाकर उसे प्रति यात्री 60 सहस्र (हजार) रुपए करने का निर्णय लिया है । सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2012 में केंद्र सरकार को हज यात्रा के लिए दिए जानेवाले अनुदान को 10 वर्षों में बंद करने का आदेश दिया था । आंध्र प्रदेश सरकार का यह निर्णय अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करनेवाला है, इस आंदोलन में यह मांग की गई ।

महिलाआें के साथ हो रहे अत्याचार रोकने हेतु कठोर विधि बनाना, महिलाआें को विशेष सुरक्षा प्रदान करना !
विगत कुछ वर्षों से भारत में बलात्कार और महिलाआें के साथ हो रहे अत्याचारों की घटनाएं सामान्य बनती जा रही हैं । सर्वदलीय राज्यकर्ता, सर्वदलीय सरकारें और जनप्रतिनिधि महिलाआें के साथ हो रहे अत्याचार रोकने में असफल सिद्ध होते हुए दिखाई दे रहे हैं । इस आंदोलन में यह मांग की गई कि

1.महिला अत्याचार के प्रकरणों को चलाने के लिए तथा महिलाआें के साथ अत्याचार से संबंधित आरोपियों की खोज करने के लिए केंद्र और राज्य स्तरपर पुलिस प्रशासन की विशेष शाखा का गठन किया जाए ।
2. महिलाओं के साथ अत्याचार के अभियोग शीघ्रगति न्यायालय में चलाकर दोषियों के विरुद्ध दंड का तत्काल क्रियान्वयन हो ।
3. विविध स्थानोंपर महिलाआें को स्वरक्षा प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह कि व्यक्ति को अपराधी बनने से रोकने के लिए बचपन से ही नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाए । यदि व्यक्ति ही नीतिमान होगा, तो वह अपराध कभी नहीं करेगा । अतः प्रत्येक विद्यालय में नैतिक मूल्यों की शिक्षा के अंतर्गत आदर्श व्यक्ति बनने के लिए क्या करना चाहिए, अपराध के दुष्परिणाम, अपराध के व्यक्ति-परिवार-समाजपर होनेवाले परिणाम आदि के संदर्भ में समाज को शिक्षित किया जाना चाहिए ।

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