हिंदुस्तान पाॅवर ने अपने नेत्र शिविर में पिछले 7 वर्षों में लगभग 6000 लाभार्थियों की सहायता की

संवाददाता (दिल्ली) हिंदुस्तान पाॅवर ने अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से मध्य प्रदेश के अनूपपुर में हजारों लोगों के जीवन में एक नई रौशनी प्रदान की है। अनूपपुर जिले की प्रमुख पहल में से एक प्रोजेक्‍ट दृष्टि है, जिसके तहत पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नेत्र जांच शिविर आयोजित किए जाते हैं। हिंदुस्तान पाॅवर के चेयरमैन रतुल पुरी द्वारा व्‍यक्तिगत रूप से तैयार किया गया यह कार्यक्रम समय के साथ आगे बढ़ रहा है। पूर्व में सामान्‍य नेत्र परीक्षण से लेकर, अब इन नेत्र शिविरों में जरूरत पड़ने पर बुनियादी दवाएं और चश्मा उपलब्ध कराने के साथ-साथ लोगों का विशेषज्ञों द्वारा इलाज की सुविधा भी प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की “नेशनल प्रोग्राम्‍स फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस’’ स्‍कीम के तहत जिला स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर संयुक्त रूप से आयोजित इस शीर्ष कार्यक्रम की वजह से क्षेत्र में आंखों की समस्या में कमी आई है।

 

इस कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए, प्रोग्राम हेड  मोहम्मद आसिफ कहते हैं, “हमारे चेयरमैन, रतुल पुरी की सोच बिल्‍कुल स्पष्ट थी। वह क्षेत्र के लोगों तक अच्छी नेत्र चिकित्‍सा पहुँचाना चाहते थे। उस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, हमने आंखों की देखभाल के बारे में जागरूकता लाने और बिना किसी खर्च के लोगों की सहायता करने के लिए इस परियोजना की संकल्पना की। हमने क्षेत्र में लोगों के लाभ के लिए कई शिविरों का आयोजन किया है। हम आंखों की जांच के लिए घरों में जाते हैं और फिर उन्हें सलाह देते हैं। हम उन्हें किसी खास और बड़ी समस्या के उपचार के लिए नेत्र शिविरों का दौरा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हमारे चेयरमैन, रतुल पुरी चाहते थे कि नेत्र शिविर में जाने वाले लोगों को दवाओं और चश्मे सहित किसी भी चीज के लिए भुगतान न करना पड़े। हम नेत्रदान के बारे में भी जागरूकता पैदा कर रहे हैं क्योंकि हमारा मानना है कि यदि आप अपनी आँखें दान करते हैं तो उस व्‍यक्ति के जीवन में बदलाव दिखाई देगा क्योंकि सौंदर्य देने वाले की नजरों में भी नजर आता है।”

 

अपने अनुभव के बारे में बताते हुए, एक बुजुर्ग व्यक्ति चैन राम पनिका ने कहा, “इससे पहले, मैं स्पष्ट रूप से नहीं देख पा रहा था। हिंदुस्तान पाॅवर की सीएसआर टीम मेरे घर आई और आंखों की जांच की और मुझे शिविर में जाने की सलाह दी। जब मैं शिविर पहुंचा तो उन्होंने मुझे मुफ्त चश्मा और दवाएं दीं। मैं वास्तव में उनका शुक्रगुजार हूं और इसने मेरे जीवन में एक नई रोशनी ला दी है। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि रतुल पुरी कौन हैं लेकिन उनकी पहल मुझे और मेरे परिवार को मदद कर रही है।”

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