परिसंघ संगठन की मुख्य ताकत कर्मचारी-अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकत्र्ता हैं : डाॅ. उदित राज

परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. उदित राज ने कहा कि लगभग 20 साल पहले परिसंघ अस्तित्व में आया। तब से लेकर अभी तक यह एक गैरराजनैतिक संगठन रहा है और हमेशा रहेगा। इस संगठन की मुख्य ताकत कर्मचारी-अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकत्र्ता हैं | परिसंघ की स्थापना डाॅ उदित राज के नेतृत्व में सन 1997 में पांच आरक्षण विरोधी आदेशों को निरस्त कराने के लिए हुई थी। इनके लगातार संघर्ष के कारण 81वाॅं, 82वाॅं एवं 85वाँ संवैधानिक संशोधन हुआ। उसके बाद से देश के दलितों की अपेक्षाएं इस संगठन में बनी रहीं। 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने नागराज के मामले में पैरवी करके 85वें संवैधानिक संशोधन को बचाया जिसका सम्बन्ध पदोन्नति में आरक्षण से था। 4 नवम्बर 2001 को डाॅ. उदित राज ने जातिविहीन समाज की स्थापना के लिए लाखों लोगों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दिलाई।

कर्नाटक सरकार के द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के सम्बन्ध में केंद्र को भेजे गए अध्यादेश की संस्तुति भारत के महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा हस्ताक्षर होने के बाद पूर्ण हो गयी। इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति को धन्यवाद। डाॅ. उदित राज के आग्रह पर कानून मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय ने त्वरित कार्यवाही की जिसके लिए गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह एवं कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद को विशेष रूप से धन्यवाद।

डाॅ. उदित राज ने कहा कि 17 जून को मावलंकर हाॅल काॅस्टीट्शन क्लब नई दिल्ली में परिसंघ का क्षेत्रीय कार्यकर्ता सम्मलेन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मलेन में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में निम्नलिखित मुद्दों पर अयोजित किया जा रहा है –

1. 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण के लिए आया।

2. 5 मार्च को यू.जी.सी. का आदेश वापिस हो गया इसकी वजह से विश्वविद्यालयों को इकाई न मानकर विभाग को इकाई मानने की वजह से शिक्षकों की नियुक्ति प्रभावित हुई। लगभग 4 हजार शिक्षक विभिन्न कोलेजों में एडहाॅक पर कार्यरत् हैं। अगर 5 मार्च का यूजीसी का प्रपत्र लागू किया जाता है तो लगभग सारे शिक्षक सड़क पर आ जाएंगें।

3. 10 संयुक्त सचिव की नियुक्ति सरकार करने जा रही है उसमें दलित आदिवासी एवं पिछड़ों का कोटा लागू किया जाए।

4. 2 अप्रैल को भारत बंद के समय 10 दलितों की हत्या हुई थी जिसमें ज्यादातर दबंग लोगों के द्वारा की गयी थी। हजारों निर्दोषों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हुए।

5. दलितों के ऊपर अत्याचार बढ़ ही रहे हंै आज ही खबर मिली कि मेहसाना, गुजरात में दलितों ने जब तथकथित ठाकुर के जूते की शक्ल का जूता पहना तो दलित को बर्बरता से पीटा गया।

6. भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर को रिहा किया जाए।

7. अनुसूचित जाति/जन जाति के छात्रों मिलने वाली छात्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी की जाए।

610

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *