कर्नाटक: राज्यपाल से मिले कुमारस्वामी, BJP ने पेश किया सरकार बनाने का दावा

 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा होने के बाद एक बार फिर से तमाम राजनीतिक दलों की सियासी उठापटक शुरू हो गई है। एक तरफ जहां प्रदेश में भाजपा जहां सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है तो कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के आंकड़े के से काफी दूर रह गई है। लेकिन क्षेत्रीय दल जेडीएस कर्नाटक के चुनाव में सबसे बड़े किरदार के रूप में सामने आई है और अब वह सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रही है। खुद कांग्रेस ने आगे आते हुए जेडीएस को इस बात की पेशकश की है कि वह प्रदेश में सरकार बनाएं, वह उसे समर्थन देने को तैयार है। जेडीएस ने पहले ही इस बात का ऐलान कर दिया था कि जो भी पार्टी एचडी देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए राजी होगी वह उसके साथ जाने को तैयार है।

कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए त्याग का रास्ता अपनाया है और जेडीएस के उम्मीदवार को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। कांग्रेस के इस त्याग की सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है कि वह कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से दूर रखना चाहती है और किसी भी तरह से सरकार से बाहर नहीं होना चाहती है। लेकिन कांग्रेस की इस रणनीति के पीछे कई और सियासी मायने भी हैं, आईए डालते हैं कांग्रेस के इस त्याग के 5 बड़े फायदे

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के एक के बाद कई राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा के चुनावी रणनीतिकार कहे जाने वाले अमित शाह के आगे कांग्रेस की तमाम सियासी चालें विफल होती नजर आ रही है। भाजपा ने देश में 20 से अधिक राज्यों में अकेले दम पर या फिर गठबंधन की सरकार बाने में सफलता हासिल की है। कई ऐसे राज्य जिन्हें कांग्रेस का गढ़ माना जाता है वहां भी भाजपा को जीत हासिल हुई है। असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, मणिपुर, उत्तर प्रदेश सहति कई राज्यों में लगातार भाजपा को जीत हासिल हुई है। ऐसे में भाजपा के इस अश्वमेघ घोड़े को रोकने में कांग्रेस को कर्नाटक के इस कदम से बड़ी सफलता मिल सकती है।

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