रामायण सर्क‍िट से इस मंदिर को जोड़ने ‘राम के ससुराल’ जाएंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को भगवान राम के ससुराल (पड़ोसी देश नेपाल) पड़ोसी देश नेपाल जा रहे हैं। उनकी दो दिन की इस यात्रा को जहां भारत-नेपाल संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। वहीं इसे मोदी के मिशन 2019 के साथ भी जोड़ा जा रहा है। दरअसल मोदी और नेपाल पीएम यहां रामायण सर्किट की घोषणा करने के साथ जनकपुर से अयोध्या के लिए बस सेवा का भी शुभारंभ करेंगे। इस बस सेवा से मोदी आगामी चुनावों को साधने के लिए प्लान बना रहे हैं। सूत्रों की माने तो सितंबर तक अयोध्या को लेकर फैसला आना है। अगर फैसला रामजन्मभूमि के हक में आता है तो जनकपुरी से लेकर अयोध्या तक एक यात्रा निकाली जा सकती है।

बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवानी ने भी अयोध्या के लिए यात्रा शुरू की थी जिसमें हजारों की संख्या में कार्यकर्त्ता शामिल हुए थे। इससे मोदी को लोकसभा में बिहार और यूपी में भारी समर्थन की उम्मीद है जो उनके मिशन 2019 को पूरा कर सकता है। मोदी की यह तीसरी नेपाल यात्रा है। मोदी 11 मई को सुबह जनकपुर पहुंचेंगे जहां वह नेपाली प्रधानमंत्री के पी.शर्मा ओली से मिलेंगे और जानकी मंदिर के दर्शन एवं पूजा अर्चना करेंगे। दोनों नेता बाद में मोदी जनकपुर के नगर निगम द्वारा अभिनंदन समारोह में शिरकत करेंगे।

जनकपुर माता सीता का जन्मस्थान है। मिथिला नरेश जनक को माता सीता इसी भूमि से मिली थीं, यह स्थान अब नेपाल में आता है। भगवान श्रीराम का विवाह माता सीता से हुआ था जिस नाते भारतीयों का नेपाल से गहरा रिश्ता है। पीएम मोदी भी श्रीराम के ससुराल जाएंगे और यहां पूजा-अर्चना करेंगे। यहां माता सीता का काफी खूबसूरत मंदिर बनाया गया है। कुछ लोग इसे नौलखा मंदिर कहते हैं तो कुछ जनकपुरधाम। कहते हैं कि इस जानकी मन्दिर का निर्माण मध्य भारत के टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुमारी ने करवाया था। यहां 1657 में माता सीता की स्वर्ग की मूर्ति मिली। जनकपुरी में देवी सीता ने अपना बाल्यकाल से लेकर यौवन व्यतीत किया है।

वहीं जहां देवी सीता का विवाह हुआ उस जगह की खोज एक संन्यासी शुरकिशोरदास ने की थी। उन्हें यहां से सीता माता की प्रतिमा मिली थी। शुरकिशोरदास  आधुनिक जनकपुर के संस्थापक भी थे। इसी स्थान पर ही राजा जनक ने भी भगवान शिव का धनुष पाने के लिए तप भी किया था। यहां मंदिर के आसपास 115 सरोवर एवं कुण्ड हैं, जिनमें गंगासागर, परशुराम कुण्ड एवं धनुष-सागर अत्याधिक पवित्र माने जाते हैं। वहीं जनकपुरी से 14 किलोमीटर ‘उत्तर धनुषा’ नाम का स्थान है यहां पर भगवान राम ने धनुष तोड़कर देवी सीता के साथ विवाह किया था। यहां एक मंडप है जिसके चारों ओर सीता-राम, माण्डवी-भरत, उर्मिला-लक्ष्मण एवं श्रुतिकीर्ति-शत्रुघ्‍न की मूर्तियां स्‍थापित हैं।

मोदी शुर्कवार को दोपहर बाद काठमांडू जाएंगे और वहां ओली के साथ द्विपक्षीय शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे। दोनों नेता अरुण -3 जलविद्युत परियोजना का संयुक्त रूप से उद्घाटन करेंगे। नौ सौ मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना का निर्माण सतलुज जल विद्युत निगम ने किया है तथा इस पर करीब 6000 करोड़ रुपए की लागत आयी है। दोनों पक्ष पंचेश्वर परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को भी अंतिम रूप देने के बारे में बात करेंगे।

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