100 शतक बनाने वाले सचिन तेंदुलकर राज्यसभा में नहीं कर पाए ‘डेब्यू’

 

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान तथा राज्यसभा सांसद सचिन तेंदुलकर पहली बार राज्यसभा में बोलने वाले थे, लेकिन विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, और ‘राइट टु प्ले’, यानी ‘खेलने के अधिकार’ पर सचिन तेंदुलकर के विचार जानने से देश वंचित रह गया.अगर सचिन तेंदुलकर गुरुवार को संसद में बोल पाते, तो यह वर्ष 2012 में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किए जाने के बाद उनका पहला भाषण होता.

दरअसल, इसी साल अक्टूबर में सचिन तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर आग्रह किया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर लाने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (CGHS) का पात्र बनाया जाए. सचिन ने अपने खत में हॉकी के पूर्व खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद का ज़िक्र करते हुए जानकारी दी थी कि वह अपने अंतिम दिनों में बीमारी से जूझ रहे थे. तेंदुलकर ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया था कि वे इस मुद्दे को इससे पहले खेल मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय दोनों के साथ उठा चुके हैं. तेंदुलकर ने लिखा, ‘उन्होंने (स्वास्थ्य मंत्रालय ने) इस विचार का समर्थन किया है लेकिन 14 सितंबर को अपने जवाब में सीजीएचएस योजना के तहत विस्तृत रूप से खिलाड़ियों पर विचार करने में अक्षमता जताई है. अपने शुरुआती आग्रह के आधार पर मैं  उनकी पूरी तरह से सराहना करता हूं और उनकी स्थिति समझ सकता हूं.

माना जा रहा था कि सचिन अपने भाषण में खेल और खिलाड़ियों की दशा और उनके लिए भारत में की गईं व्यवस्थाओं का ज़िक्र करने वाले थे. वह इस मुद्दे पर भी विचार व्यक्त करने वाले थे कि ओलिम्पिक खेलों में भारतीय खिलाड़ी किस प्रकार बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.

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